"शिक्षक राष्ट्र निर्माता" (कविता)
सभी साथियोँ एवम शिक्षक साथियोँ को शिक्षक दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ.....
"शिक्षक राष्ट्र निर्माता"
जो भगा जाता है घोर अंधकार को,
जो कुर्बान कर जाता है चैन करार को,
शिक्षक सूरज की वो ताबिंदगी है,
जो रौशनी है देता समस्त संसार को.
यह वो फनकार है जो गुर ज़िन्दगी के सिखाता है.
वो राष्ट्र निर्माता है , जो शिक्षक कहलाता है .
अदा होती है जिसकी होशरुबा,
भूले भटके को जो दिखाता है राह ,
शिक्षक माहताब का वो रूप है,
जो मन को शीतलता देता है बेपनाह.
सत्य का मार्ग दिखाकर मार्गदर्शन करवाता है.
वो राष्ट्र निर्माता है , जो शिक्षक कहलाता है .
कूट - कूट कर भरता है जो इल्म का अम्बार,
मन में होते हैं जिसके भाव उदार,
आता है जिसका नाम भगवान् के बाद,
हु-बा -हु होता है फ़ज़ीलत का भंडार.
दूसरों को अमृत के घूँट पिलाकर जो खुद ज़हर निगल जाता है
वो राष्ट्र निर्माता है , जो शिक्षक कहलाता है .
जो अनजाने को सलाह देकर संवारता है ज़िन्दगी को,
जिसकी परछाई में रहकर ही सीखा जा सकता है शायस्तगी को,
शिक्षक मर्ज़ का वो वैध है, जो भगाता है अज्ञानता रुपी बदमजगी को.
एक गुल की तरह पूरे चमन को महकाता है.,
वो राष्ट्र निर्माता है , जो शिक्षक कहलाता है .
हमें तिलक लगाना चाहिए गुरु चरणों की धूल का,
हमें पालन करना चाहिए गुरु के उसूल का
गुरु ज्ञान को कुछ यूँ निगलना चाहिए ,
जैसे भंवरा रस पी जाता है महकते फूल का,
कभी-कभी बात लगती है दिल पे, तो कभी दिल को बहलाता है.
वो राष्ट्र निर्माता है , जो शिक्षक कहलाता है .
यह सच है की आज के शिक्षक कुछ मगरूर होते हैं ,
कुछ बंदिशें होती हैं तभी तो वे मज़बूर होते हैं,
कभी विद्यार्थी को मिलता है अधिगम तो कभी गम,
फिर भी वो ज्ञानी मशहूर होते हैं .
यारो इलज़ाम न लगाया करो गुरुज़नों पर,
हालात के मारे वे बेक़सूर होते हैं.
कभी दिल में धड़कता है तो कभी रूह में समा जाता है .
वो राष्ट्र निर्माता है , जो शिक्षक कहलाता है .
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